ऑटिज्म केस स्टडीज : भारत और विश्व में स्थिति


ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार (Autism Spectrum Disorder–ASD) एक न्यूरो डवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जो व्यक्ति की सामाजिक संवाद क्षमता, व्यवहार और संचार को प्रभावित करता है। यह "स्पेक्ट्रम’ कहलाता है क्योंकि इसके लक्षण और गंभीरता हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। कुछ लोग स्वतंत्र रूप से जीवन जी सकते हैं, जबकि अन्य को जीवनभर सहायता की आवश्यकता होती है। भारत में ऑटिज्म के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन अभी भी इस विषय पर गहन चर्चा और समझ की आवश्यकता है।

ऑटिज्म क्या है?

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करने वाली एक स्थिति है। यह आमतौर पर बचपन में ही पहचानी जाती है और जीवनभर रहती है। ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति को सामाजिक संपर्क बनाने, भावनाओं को समझने और व्यक्त करने तथा दूसरों के साथ संवाद करने में कठिनाई होती है। इसके अलावा उनमें दोहराव वाले व्यवहार और विशिष्ट रुचियों की प्रवृत्ति भी देखी जा सकती है।

ऑटिज्म के लक्षण

ऑटिज्म के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं :

• सामाजिक संवाद में कठिनाई 

  • आँख से संपर्क बनाने में कठिनाई।
  • दूसरों की भावनाओं को समझने में परेशानी।
  • साथियों के साथ खेलने या बातचीत करने में रुचि की कमी।

• संचार संबंधी चुनौतियाँ 

  • बोलने में देरी या बिल्कुल न बोलना।
  • बातचीत को जारी रखने में कठिनाई।
  • शब्दों या वाक्यों को दोहराना (इकोलालिया)।

• दोहराव वाले व्यवहार 

  • एक ही क्रिया को बार-बार करना, जैसे हाथ हिलाना या शरीर को झुलाना।
  • रूटीन में बदलाव से चिड़चिड़ापन।
  • विशिष्ट वस्तुओं या विषयों के प्रति अत्यधिक लगाव।

• संवेदी संवेदनशीलता 

  • तेज रोशनी, तेज आवाज या कुछ बनावटों के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता।
  • कुछ संवेदी अनुभवों से बचने की कोशिश करना।


ऑटिज्म के कारण

ऑटिज्म के सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से समझे नहीं गए हैं, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि यह आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से होता है।

• आनुवंशिक कारक

  • कुछ जीन्स में परिवर्तन ऑटिज्म के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
  • परिवार में ऑटिज्म का इतिहास होने पर जोखिम अधिक होता है।

• पर्यावरणीय कारक 

  • गर्भावस्था के दौरान संक्रमण या दवाओं का प्रभाव।
  • प्रदूषण और विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना।

• मस्तिष्क का विकास

  • मस्तिष्क के कुछ हिस्सों का असामान्य विकास या कनेक्शन।

ऑटिज्म का निदान

ऑटिज्म का निदान आमतौर पर बचपन में किया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में यह वयस्क होने तक अनदेखा रह सकता है। निदान के लिए डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक निम्नलिखित तरीकों का उपयोग करते हैं :

• विकासात्मक मूल्यांकन 

बच्चे के विकास, व्यवहार और संचार कौशल का अवलोकन।

• स्क्रीनिंग टूल्स

M-CHAT (मॉडिफाइड चेकलिस्ट फॉर ऑटिज्म इन टॉडलर्स) जैसे टूल्स का उपयोग।

• व्यापक मूल्यांकन

मनोवैज्ञानिक परीक्षण, भाषा और संचार कौशल का मूल्यांकन।

ऑटिज्म का प्रबंधन

ऑटिज्म का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उचित समर्थन और हस्तक्षेप से व्यक्ति की जीवन गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

• व्यावहारिक थेरेपी 

एप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस (ABA) जैसी थेरेपी से सामाजिक और संचार कौशल में सुधार।

• भाषा और संचार थेरेपी

भाषा विकास और संचार कौशल को बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों की मदद।

• संवेदी एकीकरण थेरेपी

संवेदी संवेदनशीलता को कम करने और अनुकूलन क्षमता बढ़ाने के लिए।

• शिक्षा और प्रशिक्षण

विशेष शिक्षा कार्यक्रमों और कौशल विकास प्रशिक्षण की सुविधा।

• दवाएं

चिंता, अवसाद या अन्य सह-रुग्णताओं के लिए दवाओं का उपयोग।

ऑटिज्म केस स्टडीज: भारत और विश्व में स्थिति

ऑटिज्म के मामले दुनिया भर में बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर 160 बच्चों में से 1 ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार से प्रभावित है। भारत में भी ऑटिज्म के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

• भारत में ऑटिज्म की स्थिति

भारत में ऑटिज्म के मामलों की संख्या लगभग 1 करोड़ से अधिक है। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं :

शहरी क्षेत्रों में अधिक केस : दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद जैसे शहरों में ऑटिज्म के मामले अधिक देखे जाते हैं। इसका कारण शहरी क्षेत्रों में निदान और उपचार की बेहतर सुविधाएँ हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में कम जागरूकता : ग्रामीण इलाकों में ऑटिज्म के मामले कम रिपोर्ट किए जाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह समस्या नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और सुविधाओं की कमी के कारण मामले अनदेखे रह जाते हैं।

विश्व में ऑटिज्म की स्थिति

अमेरिका : CDC के अनुसार, अमेरिका में हर 44 बच्चों में से 1 ऑटिज्म से प्रभावित है। यहां ऑटिज्म के लिए उन्नत उपचार और थेरेपी उपलब्ध हैं।

यूरोप : यूरोप में भी ऑटिज्म के मामले बढ़ रहे हैं, विशेषकर यूके और जर्मनी में। 

अफ्रीका और एशिया : इन क्षेत्रों में ऑटिज्म के मामले कम रिपोर्ट किए जाते हैं, लेकिन यह समस्या गंभीर है।

ऑटिज्म सम्बन्धी केस स्टडीज

• भारत से केस स्टडी

केस 1 : राहुल (8 वर्ष) – दिल्ली

राहुल को 3 साल की उम्र में ऑटिज्म का निदान हुआ। उसे बोलने में कठिनाई थी और वह दूसरे बच्चों के साथ खेलने में रुचि नहीं लेता था। उसके माता-पिता ने AIIMS, दिल्ली में संपर्क किया और वहाँ ABA थेरेपी और स्पीच थेरेपी शुरू की गई। 2 साल के नियमित उपचार के बाद, राहुल ने बोलना शुरू किया और स्कूल में दूसरे बच्चों के साथ मेलजोल बढ़ाया।

सीख : शुरुआती निदान और उपचार से ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों की स्थिति में सुधार संभव है।

केस 2 : प्रिया (12 वर्ष) – मुंबई

प्रिया को ऑटिज्म के साथ-साथ संवेदी संवेदनशीलता भी थी। वह तेज आवाज और रोशनी से घबराती थी। उसके माता-पिता ने मुंबई के एक प्राइवेट थेरेपी सेंटर में संपर्क किया, जहाँ संवेदी एकीकरण थेरेपी और व्यवहारिक थेरेपी दी गई। धीरे-धीरे प्रिया ने अपनी संवेदनशीलता पर काबू पाना शुरू किया और स्कूल में बेहतर प्रदर्शन करने लगी।

सीख : थेरेपी और समर्थन से ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे अपनी क्षमताओं को विकसित कर सकते हैं।

• विश्व से केस स्टडी

केस 1 : टेम्पल ग्रैंडिन (अमेरिका)

टेम्पल ग्रैंडिन एक ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति हैं, जो एक प्रसिद्ध पशु विज्ञानी और लेखिका बनीं। उन्होंने ऑटिज्म के साथ जीवन जीने की अपनी कहानी साझा की है और ऑटिज्म जागरूकता के लिए काम किया है।

सीख : ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति भी अपनी प्रतिभा और कौशल के बल पर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

केस 2 : सतोशी ताजिरी (जापान)

सतोशी को ऑटिज्म का निदान बचपन में हुआ था। उन्होंने कला के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया और एक प्रसिद्ध कलाकार बने। उनकी कला ने ऑटिज्म के प्रति लोगों की धारणा बदलने में मदद की।

सीख : ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्तियों की रचनात्मकता को पहचानना और प्रोत्साहित करना जरूरी है।


ऑटिज्म का इलाज : कहाँ और कैसे?

ऑटिज्म का इलाज एक बहु-विषयक दृष्टिकोण (Multidisciplinary Approach) पर आधारित है। यहाँ कुछ प्रमुख उपचार विकल्प और उनकी लागत के बारे में जानकारी दी गई है :

भारत में ऑटिज्म उपचार केंद्र

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली : यहाँ ऑटिज्म के लिए विशेष क्लीनिक और थेरेपी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

लागत : सरकारी अस्पताल होने के कारण लागत कम है।

निमहंस (NIMHANS), बेंगलुरु : यह संस्थान मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी है।

लागत : सरकारी सुविधाओं के कारण लागत कम है।

फोर्टिस हेल्थकेयर, मुंबई और दिल्ली : यहाँ ऑटिज्म के लिए उन्नत थेरेपी और उपचार उपलब्ध हैं।

लागत : प्राइवेट अस्पताल होने के कारण लागत अधिक है (प्रति सत्र 2000 से 5000 रुपए तक)।

मणिपाल अस्पताल, बेंगलुरु : यहाँ ऑटिज्म के लिए व्यापक उपचार विकल्प उपलब्ध हैं। 

लागत : प्रति सत्र 1500 से 4000 रुपए तक।

उपचार की लागत

  • व्यावहारिक थेरेपी (ABA) में इलाज की लागत 1000 से 3000 रुपए तक।
  • भाषा और संचार थेरेपी में इलाज की लागत प्रति सत्र 800 से 2500 रुपए तक।
  • संवेदी एकीकरण थेरेपी में इलाज की लागत प्रति सत्र 1200 से 3000 रुपए तक।
  • दवाओं की मासिक कीमत 500 से 2000 रुपए तक।

समाज में ऑटिज्म के प्रति जागरूकता

ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्तियों को समाज में स्वीकार्यता और समर्थन की आवश्यकता है। निम्नलिखित कदम इस दिशा में मददगार हो सकते हैं :

  1. जागरूकता अभियान : ऑटिज्म के बारे में जानकारी फैलाने के लिए कार्यक्रम आयोजित करना।
  2. समावेशी शिक्षा : स्कूलों में ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों के लिए विशेष संसाधन और सहायता प्रदान करना।
  3. रोजगार के अवसर : ऑटिज्म से ग्रस्त वयस्कों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना।
  4. परिवार का समर्थन : परिवारों को परामर्श और सहायता समूहों से जोड़ना।

ऑटिज्म के लिए सरकारी योजनाएँ

• भारत में सरकारी योजनाएँ

  1. राष्ट्रीय ऑटिज्म समर्थन योजना : इस योजना के तहत ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों के लिए निदान, उपचार और शिक्षा की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।
  2. समग्र शिक्षा अभियान : इस योजना के तहत ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों को विशेष शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाता है।
  3. दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग : इस विभाग द्वारा ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए वित्तीय सहायता और कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जाते हैं।

• विश्व में सरकारी योजनाएँ

  1. अमेरिका : इंडिविजुअल्स विद डिसएबिलिटीज एजुकेशन एक्ट (IDEA) : इस कानून के तहत ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों को मुफ्त और उचित शिक्षा प्रदान की जाती है।
  2. यूके : ऑटिज्म एक्ट 2009 : इस कानून के तहत ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।

ऑटिज्म के लिए NGO द्वारा प्रयास

• भारत में NGO के प्रयास

  1. Action for Autism (AFA) : यह संस्था ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों और उनके परिवारों के लिए निदान, उपचार और प्रशिक्षण की सुविधाएँ प्रदान करती है।
  2. मूक बधिर एवं ऑटिज्म सोसाइटी (MDAS) : यह संस्था ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों के लिए शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रम चलाती है।
  3. स्पर्श ऑटिज्म सेंटर : यह संस्था ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों के लिए थेरेपी और परामर्श सेवाएँ प्रदान करती है।

• विश्व में NGO के प्रयास

  1. Autism Speaks (अमेरिका) : यह संस्था ऑटिज्म के प्रति जागरूकता फैलाने और शोध को बढ़ावा देने के लिए काम करती है।
  2. National Autistic Society (यूके) : यह संस्था ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्तियों और उनके परिवारों के लिए सहायता और संसाधन प्रदान करती है।

निष्कर्ष

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार एक जटिल स्थिति है, लेकिन उचित समर्थन और समझ के साथ, ऑटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति एक सार्थक और उत्पादक जीवन जी सकते हैं। समाज के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऑटिज्म के प्रति जागरूकता फैलाएं, समावेशी वातावरण बनाएं और हर व्यक्ति को सम्मान और स्वीकार्यता प्रदान करें।

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