आज के दौर में सिंगल-यूज प्लास्टिक (Single-Use Plastic-SUP) हमारी जीवनशैली का एक हिस्सा बन चुका है। यह सस्ते और सुविधाजनक उत्पाद भले ही हमारे दैनिक जीवन में सहायक हैं, लेकिन पर्यावरण के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हो रहे हैं। प्लास्टिक कचरा न केवल जल, वायु और भूमि प्रदूषण को बढ़ाता है, बल्कि यह वन्यजीवों, जलचरों और मानव स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है। सिंगल-यूज प्लास्टिक (एक बार उपयोग होने वाला प्लास्टिक) जैसे पॉलीथीन बैग, पानी की बोतलें, स्ट्रॉ, डिस्पोजेबल प्लेट और कप। ये उत्पाद सुविधाजनक तो हैं, लेकिन इनका पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है।
विशेषज्ञों के अनुसार प्लास्टिक के सूक्ष्म कण (Micro Plastics) हमारे खाद्य पदार्थों और पानी में प्रवेश कर चुके हैं, जो दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में प्लास्टिक-मुक्त भविष्य सुनिश्चित करना समय की महती आवश्यकता है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत प्रतिदिन लगभग 3.5 मिलियन टन कचरा उत्पन्न करता है, जिसमें प्लास्टिक कचरे की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। प्लास्टिक कचरा नदियों, समुद्रों और भूमि को प्रदूषित करता है, जिससे जलीय जीवन और वन्यजीवों को गंभीर खतरा होता है। माइक्रोप्लास्टिक अब हमारे भोजन, पानी और यहाँ तक कि मानव रक्त में भी पाया गया है, जो कैंसर, हार्मोनल असंतुलन और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
सिंगल-यूज प्लास्टिक के प्रकार और इनके उपयोग के दुष्प्रभाव
भारत सरकार द्वारा सिंगल-यूज प्लास्टिक की परिभाषा उन उत्पादों के लिए दी गई है, जिन्हें एक बार उपयोग करने के बाद फेंक दिया जाता है। इनमें शामिल हैं —
• प्लास्टिक की पतली थैलियाँ (Carry Bags)।
• डिस्पोजेबल प्लेटें, गिलास, कप।
• प्लास्टिक स्ट्रॉ, चम्मच, कांटे।
• प्लास्टिक की बोतलें।
• प्लास्टिक पैकेजिंग सामग्री।
• थर्मोकोल के बने सजावट और पैकिंग उत्पाद।
दुष्प्रभाव : सिंगल यूज प्लास्टिक के मानव जीवन पर निम्नलिखित दुष्प्रभाव पड़ते हैं :
• भूमि और जल प्रदूषण में वृद्धि।
• समुद्री जीवों की मृत्यु।
• पशुओं द्वारा प्लास्टिक खाने से स्वास्थ्य हानि।
• मानव स्वास्थ्य पर सूक्ष्म प्लास्टिक कणों का प्रभाव।
• पर्यावरणीय असंतुलन।

भारत सरकार द्वारा सिंगल-यूज प्लास्टिक पर जारी नियम व अधिसूचनाएँ
भारत सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए कई नियम और अधिसूचनाएँ जारी की हैं, जिनका उद्देश्य सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना है।
1. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
• प्लास्टिक की थैलियों की न्यूनतम मोटाई 50 माइक्रोन निर्धारित की गई।
• निर्माता और विक्रेताओं पर Extended Producer Responsibility (EPR) लागू।
2. सिंगल-यूज प्लास्टिक प्रतिबंध अधिसूचना—12 अगस्त, 2021
• भारत सरकार ने 1 जुलाई, 2022 से विशेष रूप से 19 प्रकार के सिंगल-यूज प्लास्टिक उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया।
प्रतिबंधित उत्पाद : भारत सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित करते हुए निम्नलिखित उत्पादों को प्रतिबंधित किया है :
• प्लास्टिक के झंडे • कैंडी स्टिक • गुब्बारे की छड़ी • आइसक्रीम स्टिक • डिस्पोजेबल कटलरी • स्ट्रॉ • प्लेट, कप, गिलास • पैकेजिंग • रैप्स।
3. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022
• प्लास्टिक के उत्पादन, वितरण और उपयोग की निगरानी हेतु कड़े प्रावधान।
• गैर-अनुपालन पर जुर्माना और दंड की व्यवस्था।
जागरूकता अभियान के उपाय
स्थानीय स्तर पर जागरूकता फैलाना सिंगल-यूज प्लास्टिक के खतरे को रोकने में सहायक हो सकता है। इसके लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं —
• समाज में पर्यावरण संरक्षण के संदेश का प्रचार।
• स्थानीय निकायों द्वारा शपथ ग्रहण कार्यक्रम आयोजित करना।
• स्कूल, कॉलेजों में "प्लास्टिक मुक्त विद्यालय’ अभियान चलाना।
• निबंध, पोस्टर और वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ आयोजित करना।
• पंचायत स्तर पर स्वच्छता और प्लास्टिक मुक्त अभियान।
• सोशल मीडिया, समाचार पत्र, बैनर-पोस्टर, और जागरूकता रैलियाँ।
• NGOs और स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों के सहयोग से कार्यक्रम।
• स्वयंसेवी संगठनों के साथ मिलकर प्लास्टिक संग्रह अभियान चलाना।
• सोशल मीडिया पर #PlasticFreeIndia जैसे हैशटैग का उपयोग करना।
• ऑनलाइन वेबिनार और वर्कशॉप आयोजित करना।
प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के उपाय
• बाजार जाते समय कपड़े या जूट के थैलों का उपयोग।
• पानी की बोतल, कॉफी कप और टिफिन हमेशा साथ रखें।
• पुनः उपयोग योग्य पानी की बोतल व टिफिन का प्रयोग।
• स्टील, बांस या कांच से बने उत्पादों को अपनाना।
• प्लास्टिक पैकिंग वाले उत्पादों की खरीद में कमी।
• प्लास्टिक पैकेजिंग वाले उत्पादों से बचें और बल्क में खरीदारी करें।
• बांस के टूथब्रश, मिट्टी के दीये और कपड़े के मास्क जैसे प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करें।
पुन: उपयोग और रिसायक्लिंग को बढ़ावा देना
• प्लास्टिक उत्पादों का बार-बार प्रयोग कर अपशिष्ट में कमी।
• रचनात्मक उपयोग जैसे प्लास्टिक बोतलों से सजावटी या उपयोगी वस्तुएँ बनाना।
• प्लास्टिक कचरे का पृथक्करण कर रिसायक्लिंग में सहयोग।
• अलग-अलग कचरा संग्रह के लिए हरा डस्टबिन (जैविक), नीला (पुनर्चक्रण योग्य), लाल (हानिकारक) रखना।
• रीसाइक्लिंग सेंटर से जुड़ें और कबाड़ी तथा स्थानीय रीसाइक्लिंग इकाइयों को प्लास्टिक दान करें।
प्लास्टिक कचरे का उचित निपटान
• जैविक और अजैविक कचरे को अलग करना।
• स्थानीय नगरपालिका या पंचायत की कचरा प्रबंधन योजना में भागीदारी।
• प्लास्टिक कचरे को रिसायक्लिंग केंद्र में भेजना।
• खुले में कचरा फेंकने से बचना।
एक सामूहिक प्रयास की जरूरत
सिंगल-यूज प्लास्टिक को खत्म करने के लिए केवल सरकारी नियम ही काफी नहीं हैं। हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। छोटे-छोटे बदलाव, जैसे कपड़े के थैले का उपयोग, पुन: प्रयोज्य बोतलें ले जाना और प्लास्टिक कचरे को अलग करने से हम समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
भविष्य की दिशा
1. प्लास्टिक विकल्पों का विकास
• बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का निर्माण और प्रचार।
• पर्यावरण मित्र उत्पादों की उपलब्धता बढ़ाना।
2. कचरा प्रबंधन प्रणाली को सशक्त करना
• नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों को मजबूत बनाना।
• रिसायक्लिंग उद्योग को प्रोत्साहन।
3. जनसहभागिता बढ़ाना
• जन-जागरूकता से जुड़े अभियानों का निरंतर संचालन।
• पर्यावरण मित्र जीवनशैली को बढ़ावा देना।
यदि हम सभी मिलकर पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें और सिंगल-यूज प्लास्टिक के विकल्पों को अपनाएँ, तो निश्चित ही हमारा भविष्य स्वच्छ, हरित और सुरक्षित बन सकता है। यही हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सच्ची धरोहर होगी। आइए, मिलकर एक प्लास्टिक-मुक्त भारत बनाएँ!
GOOD ARTICLE
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