विदेश में भारतीय छात्रों को मेडिकल शिक्षा : अवसर और चुनौतियाँ

मेडिकल शिक्षा भारतीय छात्रों के लिए एक प्रतिष्ठित और सम्मानजनक करियर विकल्प है। हालांकि, भारत में मेडिकल कॉलेजों की सीमित संख्या और प्रवेश परीक्षाओं की कठिन प्रतिस्पर्धा के कारण कई छात्र विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने का विकल्प चुनते हैं। विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने के कई फायदे हैं, जैसे कि उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा, अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर और बेहतर करियर के अवसर। हालांकि, इसके साथ ही कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे कि वित्तीय बोझ, सांस्कृतिक अंतर और लाइसेंसिंग प्रक्रिया।

विदेश में मेडिकल शिक्षा के प्रमुख कारण

विदेश में मेडिकल शिक्षा के लिए भारतीय छात्रों के जाने के कई कारण होते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं :
• कम प्रतिस्पर्धा : आज के दौर में मेडिकल परीक्षा में प्रवेश के लिए भारत में NEET परीक्षा आयोजित होती है, जिसमें अत्यधिक प्रतिस्पर्धा होती है और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटें सीमित होती हैं। इसलिए आज के दौर में विदेश में मेडिकल शिक्षा को अधिक उपयुक्त माना जाता है।
• अत्यधिक शुल्क वाले निजी कॉलेज : भारत में निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस बहुत अधिक होती है, जो कई छात्रों के लिए वहन करना मुश्किल होता है। इस कारण आज मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने वाले अधिकतर विद्यार्थी विदेशों की ओर गमन करने के बारे में सोचने लगते हैं।
• उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा : कई विदेशी विश्वविद्यालयों में चिकित्सा शिक्षा का स्तर उत्कृष्ट होता है और वहाँ आधुनिक तकनीक और सुविधाएँ उपलब्ध होती है। इस कारण भी ​भारतीय मेडिकल विद्यार्थी विदेशों की ओर रुख करने के बारे में विचार करते हैं।
• अंतर्राष्ट्रीय अनुभव : विदेश में अध्ययन करने से छात्रों को वैश्विक दृष्टिकोण और अलग-अलग संस्कृतियों को समझने का अवसर मिलता है।
• कम खर्चीली शिक्षा : रूस, यूक्रेन, कज़ाकिस्तान, चीन और फिलीपींस जैसे देशों में मेडिकल शिक्षा की लागत भारतीय निजी कॉलेजों की तुलना में कम होती है। इस कारण भी ​भारतीय मेडिकल विद्यार्थी विदेशों की ओर रुख करने के बारे में विचार करते हैं। 

 विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या

• हर साल लगभग 15,000 से 20,000 भारतीय छात्र विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं।
• इनमें से अधिकांश छात्र MBBS की डिग्री प्राप्त करने के लिए जाते हैं।
• पिछले एक दशक में विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में लगभग 30-40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

विदेश में मेडिकल शिक्षा के लिए लोकप्रिय देश

भारतीय छात्रों के लिए मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई देश लोकप्रिय हैं। इनमें से कुछ प्रमुख देश हैं :
• रूस : रूस की मेडिकल शिक्षा भारतीय छात्रों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यहाँ के मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता अच्छी है और फीस भी भारत की तुलना में कम है। रूस में MBBS की डिग्री प्राप्त करने के बाद छात्रों को भारत में नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की लाइसेंसिंग परीक्षा पास करनी होती है। रूस में जाने वाले भारतीय विद्यार्थियों के लिए किफायती फीस, भारतीय छात्रों के लिए अनुकूल वातावरण मौजूद होता है और साथ ही साथ WHO और MCI द्वारा मान्यता प्राप्त विश्विद्यालय मौजूद हैं। यहां प्रतिवर्ष लगभग 6,000 से 7,000 भारतीय छात्र रूस में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करते हैं। रूस में MBBS की फीस लगभग 15-25 लाख रुपये (पूरे कोर्स के लिए) होती है।
• चीन : चीन में भी भारतीय छात्रों के लिए मेडिकल शिक्षा के कई अवसर उपलब्ध हैं। चीन के मेडिकल कॉलेजों में अंग्रेजी में पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध है और फीस भी कम है। हालांकि, चीन में पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी भारत में NMC की परीक्षा पास करनी होती है। यहां भी मेडिकल छात्रों के लिए आधुनिक सुविधाएं, कम खर्च और भारतीय चिकित्सा पद्धति के समान ही पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। चीन में प्रतिवर्ष लगभग 10,000 भारतीय छात्र मेडिकल शिक्षा प्राप्त करते हैं। हालांकि, COVID-19 महामारी के बाद यह संख्या कुछ कम हुई है। चीन में MBBS की फीस लगभग 20-30 लाख रुपये (पूरे कोर्स के लिए) है।
• यूक्रेन : यूक्रेन में मेडिकल शिक्षा भारतीय छात्रों के लिए एक और लोकप्रिय और महत्त्वपूर्ण विकल्प है। यूक्रेन में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा, अंग्रेजी माध्यम में उपलब्ध पाठ्यक्रम और सस्ती जीवनशैली उपलब्ध है। यूक्रेन के मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता अच्छी है और फीस भी काफी कम है। यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी भारत में NMC की परीक्षा पास करनी होती है। यूक्रेन में प्रतिवर्ष लगभग 5,000 से 6,000 भारतीय छात्र मेडिकल शिक्षा प्राप्त करते हैं। यूक्रेन में MBBS की फीस लगभग 15-20 लाख रुपये (पूरे कोर्स के लिए) है। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यह संख्या अब कम हो गई है।
• फिलीपींस : फिलीपींस में मेडिकल शिक्षा भारतीय छात्रों के लिए अच्छा विकल्प है। फिलीपींस के मेडिकल कॉलेजों में अंग्रेजी में पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध है और फीस भी कम है। फिलीपींस में पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी भारत में NMC की परीक्षा पास करनी होती है। यहाँ की मेडिकल शिक्षा अमेरिका आधारित पाठ्यक्रम में उपलब्ध है। यहां भी मेडिकल शिक्षा अंग्रेजी माध्यम में है और मेडिकल शिक्षा पर कम खर्च होता है। फिलीपींस में प्रतिवर्ष लगभग 2,000 से 3,000 भारतीय छात्र मेडिकल शिक्षा प्राप्त करते हैं। यहाँ MBBS की फीस लगभग 20-25 लाख रुपये (पूरे कोर्स के लिए) है।
• यूएसए और यूके : संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और यूनाइटेड किंगडम (UK) में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करना भारतीय छात्रों के लिए एक प्रतिष्ठित विकल्प है। हालांकि इन देशों में मेडिकल शिक्षा की लागत बहुत अधिक है और प्रवेश प्रक्रिया भी कठिन है। इन देशों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को भारत में NMC की परीक्षा पास करनी होती है। इन देशों में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या कम है (प्रतिवर्ष लगभग 500-1,000 छात्र), क्योंकि यहाँ की फीस और जीवनयापन की लागत बहुत अधिक है। USA और UK में MBBS या MD की फीस लगभग 1-2 करोड़ रुपये या उससे अधिक हो सकती है।
• कजाकिस्तान : इसके साथ ही अब कजाकितान में भी सस्ती मेडिकल शिक्षा उपलब्ध होने लगी है। यहां की मेडिकल शिक्षा में सरल प्रवेश प्क्रिया, कम फीस और भारतीय छात्रों के लिए अच्छी ​सु​विधाएं उपलब्ध हैं।

प्रवेश प्रक्रिया

विदेशी मेडिकल विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया सरल होती है। आमतौर पर निम्नलिखित चरण होते हैं :
• योग्यता : छात्र को 12वीं कक्षा में भौतिकी, रसायन विज्ञान, और जीवविज्ञान (PCB) विषयों के साथ कम से कम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होते हैं।
• NEET परीक्षा : विदेश में मेडिकल शिक्षा के लिए NEET उत्तीर्ण करना आवश्यक है।
• विश्वविद्यालय चयन : छात्र को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सही विश्वविद्यालय चुनना चाहिए।
• प्रवेश आवेदन : छात्रों को संबंधित विश्वविद्यालय में आवेदन करना होता है।
• वीज़ा प्रक्रिया : विश्वविद्यालय से प्रवेश पत्र प्राप्त करने के बाद छात्र को वीज़ा के लिए आवेदन करना होता है।

लागत और वित्तीय सहायता

विदेश में चिकित्सा शिक्षा की लागत देश और विश्वविद्यालय के अनुसार भिन्न होती है। सामान्यतः इसमें शामिल खर्च निम्नलिखित हैं :
• ट्यूशन फीस : 3,000 से 10,000 डॉलर प्रतिवर्ष (देश और विश्वविद्यालय के अनुसार)।
• हॉस्टल और रहने का खर्च : 1,000 से 3,000 डॉलर प्रतिवर्ष।
• अन्य खर्च (भोजन, यात्रा, बीमा आदि) : लगभग 2,000 डॉलर प्रतिवर्ष।
• कुल औसत खर्च : लगभग 20,000 से 50,000 डॉलर (पूरा कोर्स)।
विद्यार्थी विभिन्न वित्तीय सहायता योजनाओं, छात्रवृत्तियों और बैंक लोन का लाभ भी उठा सकते हैं।

विदेश में मेडिकल शिक्षा के फायदे

• उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा : विदेश के मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता अक्सर भारत के कई मेडिकल कॉलेजों से बेहतर होती है। इन कॉलेजों में आधुनिक सुविधाएं, अनुसंधान के अवसर और अनुभवी फैकल्टी होती हैं।
• अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर : विदेश में पढ़ाई करने से छात्रों को अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर मिलता है। यह उनके करियर के लिए फायदेमंद होता है और उन्हें विभिन्न संस्कृतियों और चिकित्सा प्रणालियों के बारे में जानने का अवसर मिलता है।
• वैश्विक नेटवर्क : विदेश में पढ़ाई करने से छात्रों को एक वैश्विक नेटवर्क बनाने का अवसर मिलता है। यह नेटवर्क उनके करियर में मददगार साबित हो सकता है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नौकरी के अवसर प्रदान कर सकता है।
• नए अनुभव : विदेश में पढ़ाई करने से छात्रों को नए अनुभव मिलते हैं। वे नई संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं के बारे में सीखते हैं, जो उनके व्यक्तिगत और पेशेवर विकास के लिए फायदेमंद होता है।

विदेश में मेडिकल शिक्षा की चुनौतियाँ

• वित्तीय बोझ : विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करना महंगा हो सकता है। ट्यूशन फीस, रहने का खर्च और अन्य खर्चों को मिलाकर यह एक बड़ा वित्तीय बोझ हो सकता है। कई छात्रों को इसके लिए एजुकेशन लोन लेना पड़ता है।
• सांस्कृतिक अंतर : विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों को सांस्कृतिक अंतर का सामना करना पड़ सकता है। नई संस्कृति, भाषा और परंपराओं के साथ तालमेल बिठाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
• लाइसेंसिंग प्रक्रिया : विदेश में मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के बाद भारत में प्रैक्टिस करने के लिए छात्रों को NMC की लाइसेंसिंग परीक्षा पास करनी होती है। यह परीक्षा कठिन हो सकती है और इसे पास करने के लिए अतिरिक्त तैयारी की आवश्यकता होती है।
• अकेलेपन का सामना : विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों को घर की याद और अकेलेपन का सामना करना पड़ सकता है। नए माहौल में खुद को ढालना और दोस्त बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

चुनौतियाँ और समाधान

विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने के दौरान छात्रों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है :
• भाषा अवरोध : कई देशों में स्थानीय भाषा में पढ़ाई होती है, जिससे छात्रों को कठिनाई होती है। समाधान के रूप में भाषा सीखने की कक्षाएँ ली जा सकती हैं।
• संस्कृति और मौसम : नए देश में ढलने में समय लगता है। भारतीय समुदायों और संगठनों से जुड़कर यह समस्या कम की जा सकती है।
• भारतीय मान्यता : सभी विदेशी मेडिकल डिग्रियाँ भारत में मान्यता प्राप्त नहीं होतीं। MCI/NMC द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों का चयन करना आवश्यक है।
• FMGE परीक्षा : भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए FMGE (Foreign Medical Graduate Examination) उत्तीर्ण करना अनिवार्य है।

भारत सरकार की नीतियाँ

• भारत सरकार ने विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए नेक्स्ट (NExT) परीक्षा शुरू की है, जो FMGE की जगह लेगी। यह परीक्षा छात्रों के लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
• सरकार ने विदेशी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता के लिए सख्त नियम बनाए हैं, ताकि छात्रों को केवल मान्यता प्राप्त संस्थानों से ही शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

निष्कर्ष

विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करना भारतीय छात्रों के लिए एक बेहतरीन अवसर हो सकता है। यह उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा, अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर, और बेहतर करियर के अवसर प्रदान करता है। हालांकि, इसके साथ ही कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे कि वित्तीय बोझ, सांस्कृतिक अंतर, और लाइसेंसिंग प्रक्रिया। छात्रों को विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने का निर्णय लेने से पहले इन सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए और सही देश और कॉलेज का चयन करना चाहिए। सही योजना और तैयारी के साथ, विदेश में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करना एक सफल और संतोषजनक करियर की ओर पहला कदम हो सकता है।




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