क्वांटम कम्प्यूटिंग और AI : साथ मिलकर नए आयाम

आधुनिक युग में क्वांटम कम्प्यूटिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधुनिक तकनीक के दो प्रभावशाली क्षेत्र होते हैं। जहां आज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) ने आंकड़ों के विश्लेषण स्वचालन और मशीन लर्निंग में क्रांति ला दी है, वहीं क्वांटम कम्प्यूटिंग कम्प्यूटिंग की सीमाओं को पार करने की संभावना प्रस्तुत की है। अब सवाल यह उठता है कि क्या क्वांटम कम्प्यूटिंग आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) को आने वाले समय में पीछे छोड़ देगा या क्वांटम कम्प्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) दोनों मिलकर भविष्य को नया आकार प्रदान करेंगे? यह इस आलेख में गहन रूप से देने का प्रयास किया गया है।

क्वांटम कम्प्यूटिंग का इतिहास

क्वांटम कम्प्यूटिंग की नींव 20वीं सदी के शुरूआत में क्वांटम यांत्रिकी के विकास के साथ शुरू हुई। अल्बर्ट आइंस्टीन, नील्स बोहर और मैक्स प्लैंक जैसे महान वैज्ञानिकों ने क्वांटम सिद्धान्त को दुनिया के सामने रखा और इसे विकसित किया, जो सूक्ष्म कणों के व्यवहार को समझाने में मदद की है। क्वांटम कम्प्यूटिंग का विचार पहली बार सन् 1980 के दशक में दुनिया के सामने आया। भौतिक विज्ञान के एक वैज्ञानिक रिचर्ड फेनमैन ने बताया कि क्वांटम सिद्धान्त की नकल करने के लिए क्वांटम मशीनों की जरूरत हुई, क्योंकि क्लासिकल कम्प्यूटर इसके लिए पर्याप्त नहीं थे।
सन् 1985 में डेविड ड्यूश ने क्वांटम कम्प्यूटर की अवधारणा को औपचारिक नाम दिया और सुझाव दिया कि यह क्लासिकल कम्प्यूटरों से अधिक शक्तिशाली हो सकता है। सन् 1994 में पीटर शोर ने ‘शोर का एल्गोरिदम’ विकसित किया, जो बड़ी संख्या को तेजी से विभाजित करने में सक्षम था—एक ऐसा कार्य जो क्रिप्टोग्राफी के लिए एक क्रांति था। इसके बाद सन् 1996 में लोव ग्रोवर ने ‘ग्रोवर एल्गोरिदम’ को दुनिया के सामने लाये। यह एल्गोरिदम डेटाबेस खोज को तेज करता है। इन प्रारंभिक सफलताओं ने क्वांटम कम्प्यूटिंग के क्षेत्र में रुचि बढ़ाई। 21वीं सदी में गूगल, आईबीएम और डी–वेब जैसी कंनियों ने व्यावहारिक क्वांटम कम्प्यूटर विसित करने की दिशा में रुचि दिखाई।


तकनीकी विवरण

क्वांटम कम्प्यूटिंग पारंपरिक कम्प्यूटिंग से मौलिक रूप से अलग है। पारंपरिक कम्प्यूटर एक ऐसा कम्प्यूटिंग डिवाइस होता है जो मुख्य रूप से सि​लिकॉन आधरित हार्डवेयर का उपयोग करके विद्युत सर्किट में बाइनरी संख्याओं को अनुक्रमिक तरीके से संसधित करके संचालित होता है। क्लासिकल कम्प्यूटर बिट्स का उपयोग कम्प्यूटरों में करते थे, जो 0 या 1 होते थे, लेकिन क्वांटम कम्प्यूटर क्यूबिट्स (क्वांटम बिट्स) पर काम करते हैं, जो सुपरपोजिशन, एंटेंगलमेंट और हस्तक्षेप कम्प्यूटर के क्वांटम गुणों में लाभ प्रदान करते हैं।

  • सुपर पोजिशन : एक क्यूिबट एक साथ 0 और 1 दोनों अवस्थाओं में हो सकता है। इसमें क्वांटम कम्प्यूटर एक साथ कई संभावनाओं की गणना कर सकते हैं। उदाहरण के लिए जहां एक क्लासिकल कम्प्यूटर को 2^n की संभावनाओं को चैक करना पड़ता है, वहीं क्वांटम कम्प्यूटर इन्हें समान रूप से प्रोसेस कर सकता है।
  • एंटेंगलमेंट : जब दो क्यूबिट्स कठिन अर्थात जटिल होते हैं, तो एक की अवस्था दूसरे पर निर्भर हो जाती है। चाहे वह कितनी ही दूरी पर स्थित हो। यह गणनाओं को तेज और जटिल भी बनाता है।
  • हस्तक्षेप : क्वांटम कम्प्यूटर तरंग यानी कंपन को उपयोग करके सही उत्तरों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है और गलत उत्तरों की संख्या को कम किया जा सकता है।
  • हालांकि दुनिया में क्वांटम कम्प्यूटर को लाना एक आसान काम नहीं है। क्यूबिट्स बहुत ही नाजुक होते हैं और ‘डिकोहेरेंस’ के कारण आसानी से अपनी अवस्था को खो देते हैं। इसे रोकने के लिए इन्हें बहुत कम तापमान यानी लगभग –273ºC पर रखा जाता है। साथ ही गलतियों में सुधार करना एक चुनौती है, क्योंकि क्वांटम जानकारी को मापने से वह बदल सकती है।

क्वांटम कम्प्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) का संगम

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मुख्य रूप से क्लासिकल कम्प्यूटिंग पर ही निर्भर है। मशीन लर्निंग मॉडल जैसे न्यूरल नेटवर्क, बड़े डेटासेट को ट्रेनिंग देने के लिए भारी कम्पूटेशनल शक्ति की मांग करते हैं। यहां क्वांटम कम्प्यूटिंग हमारी बहुत अधिक मदद करता है। उदाहरण के लिए :

  • क्वांटम मशीन लर्निंग : क्वांटम सपोर्ट वेक्टर मशीन और क्वांटम कलस्टरिंग जैसे एल्गोरिदम के आंकड़ों को तेज कर सकते हैं।
  • अनुकूलन : क्वांटम एल्गोरिदम न्यूरल नेटवर्क के वेट्स को अनुकूलित करने में तेजी ला सकते हैं।
  • सिमुलेशन : क्वांटम कम्प्यूटर जटिल आणविक संरचनाओं को मिला सकते हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) की खोज में मदद कर सकता है।

उदाहरण :

  • Google का साइकमोर : सन् 2019 में Google ने एक दावा किया कि उनके 54–क्यूबिट साइकमोर प्रोसेसर ने एक कार्य को मात्र 200 सैकण्ड में पूरा किया, जिसे क्लासिकल सुपर कम्प्यूटर को करने में लगभग 10,000 साल लगते। हालांकि यह कार्य आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI)  से सीधे तरीके से संबंधित नहीं था, लेकिन यह क्वांटम की शक्ति को बताता है।
  • नई दवाइयों की खोज : IBM के क्वांटम कम्प्यूटर ने रासायनिक अणुओं को व्यहार में मिलाने का प्रयास किया, जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल के साथ मिलकर नई दवाइयों की खोज में तेजी ला सकती है।
  • क्रिप्टोग्राफी : शोर का एल्गोरिदम मौजूदा एंक्रिप्शन सिस्टम को तोड़ सकता है, जिससे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल को सुर​िक्षत सिस्टम डिजाइन करने में मदद मिलती है।

 

भविष्य के लिए क्वांटम कम्प्यूटिंग के अनुप्रयोग

क्वांटम कम्प्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल के संयोजन से भविष्य में विभि​न्न क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है :

  1. चिकित्सा : क्वांटम कम्प्यूटिंग आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल कैंसर जैसी बीमारियों के लिए नई दवाइयों बना सकता है। उदाहरण के लिए प्रोटीन फोल्डिंग की जटिल समस्या, जो आज के कम्प्यूटरों के लिए बहुत मुश्किल कार्य था, क्वांटम ​कम्प्यूटिंग सिस्टम द्वारा तेजी से हल कर सकती है।
  2. जलवायु मॉडलिंग : क्वांटम कम्प्यूटिंग मॉडल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी ढूंढ़ सकता है और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल इसका उपयोग नई नीतियां बनाने में कर सकता है।
  3. वित्त : क्वांटम कम्प्यूटिंग ऑप्टिमाइजेशन स्टॉक मार्केट के रुझानों को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकता है।
  4. अंतरिक्ष अन्वेषण : क्वांटम कम्प्यूटर अंतरिक्ष मिशनों के लिए जटिल प्रक्षेप पथ की गणना अच्छी तरह से कर सकते हैं, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) नेविगेशन को संभालेगा।

क्या क्वांटम कम्प्यूटिंग आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल को पीछे छोड़ देगा?

क्वांटम कम्प्यूटिंग मॉडल कुछ विशेष क्षेत्रों में अपनी अहम भूमिका निभाता है, लेकिन प्रत्येक कार्य के लिए क्वांटम कम्प्यूटर उपयुक्त नहीं है। उदाहरण के लिए सामान्य डेटा प्रोसे​सिंग या इमेज रेंडरिंग में क्लासिकल कम्प्यूटर आज के तकनीकी युग में बेहतर है। साथ ही क्वांटम तकनीक अभी आरंभिक अवस्था में है। क्वांटम कम्प्यूटर अभी स्केलेबल व्यावहारिक मशीनों से काफी दूर है। दूसरी ओर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल व्यापक रूप से उपयोग में लाया जा रहा है। इसलिए क्वांटम कम्प्यूटिंग के आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल को पीछे छोड़ने के बजाय यह संभावना अधिक जताई जा रही है कि क्वांटम कम्प्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल एक–दूसरे के पूरक बनेंगे। क्वांटम कम्प्यूटिंग आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल को तेज और शक्तिशाली बनाएगा जबकि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल क्वांटम तकनीक को व्यावहारिक प्रयोग में लागू करने में मदद कर सकता है।

चुनौतियां

  • क्वांटम कम्प्यूटर : क्वांटम कम्प्यूटर क्यूबिट्स की अस्थिरता, उच्च लागत और गलती सुधार कर सकता है।
  • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल : आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट (AI) मॉडल आंकड़ों को गोपनीय, नैतिक और पारदर्शी रख सकता है।

भारत में क्वांटम कम्प्यूटर की स्थिति

भारत में क्वांटम कम्प्यूटिंग का अब तेजी से विकास हो रहा है। सरकार और निजी दोनों ही क्षेत्र इस दिशा में अब सक्रिय हो चुके हैं।

  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) : अप्रैल 2023 में भारत सरकार ने 6003.65 करोड़ रुपए के बजट के साथ राष्ट्रीय क्वांटम मिशन की शुरूआत की। इसका लक्ष्य 2030–31 तक भारत को क्वांटम तकनीक में सर्वोत्तम बनाना है। मिशन चार क्षेत्रों पर केन्द्रित है : क्वांटम कम्प्यूटिंग, क्वांटम संचार, क्वांटम सेंसिंग और क्वांटम सामग्री। इसके लिए चार टी–अब स्थापित किए जा रहे हैं, जो उच्च संस्थानों में अनुसंधानों को बढ़ावा देंगे।
  • प्रारंभिक प्रगति : अगस्त 2024 में भारत सरकार ने घोषणा की कि राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के तहत पहला 6–क्यूबिट क्वांटम कम्प्यूटर लॉन्च करेगा। यह एक प्रोटोटाइप है, जो क्वांटम तकनीक में भारत की क्षमता को विश्व के सामने प्रस्तुत करेगा। हालांकि अभी तक यह भारत में पूर्ण रूप से लॉन्च नहीं हुआ है। इस क्षेत्र में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फण्डामेंटल रिसर्च (TIFR) मुंबई भारत का पहला लघुस्तरीय क्वांटम कम्प्यूटर बनाने पर कार्य कर रहा है।
  • संस्थानों की भूमिका : क्वांटम कम्प्यूटर में टाटा इंस्टीट्यूट के अलावा भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जैसे संस्थान भी कार्य कर रहे हैं।

भारत में क्वांटम कम्प्यूटिंग की चुनौतियां 

भारत में क्वांटम कम्प्यूटर अभी शुरूआती चरण में है। स्केलेबल क्वांटम सिस्टम बनाने के लिए बुनियादी ढांचा, कुशल मानव संस्थान और निवेश की कमी है। हालांकि NQM इस दिशा में बड़ा कदम उठा रही है।

हाल की घोषणाएं

सुपर कम्प्यूटर के जनक डॉ. विजय पांडुरंग ने सितंबर, 2024 में कहा है कि अगले तीन वर्षों में भारत का अपना क्वांटम कम्प्यूटर होगा।

निष्कर्ष

क्वांंटम कंप्यूटिंग का इतिहास, तकनीकी आधार और भविष्य के अनुप्रयोग इसे एक रोमांचक क्षेत्र बनाते हैं। भारत में इसकी स्थिति आशाजनक है, विशेष रूप से राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के साथ। यह AI को पीछे नहीं छोड़ेगा, बल्कि इसे और शक्तिशाली बनाएगा। दोनों के संयोजन से चिकित्सा, जलवायु, और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में क्रांति संभव है। भारत इस दौड़ में शामिल हो चुका है, और अगले कुछ वर्ष इसके लिए निर्णायक होंगे।

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