पुरातन काल से लेकर आज तक भगवान् श्रीराम के रूप सौन्दर्य का वर्णन पुराणों और धर्म ग्रन्थों विशेषकर वाल्मीक रामायण, तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस और अन्य भक्ति साहित्य में बहुत ही विस्तार से किया गया है। अभी कुछ समय से सोशल मीडिया आदि पर भगवान् श्रीराम के रूप सौन्दर्य के दिव्य स्वरूप का फोटो चल रहा है। उनके दिव्य स्वरूप का वर्णन सोशल मीडिया पर प्रकाशित फोटो के विपरीत बिल्कुल अलग है। उनके दिव्य स्वरूप का ऐसा है, जो मनुष्य एक बार उनके रूप सौन्दर्य को देख ले, वह उस दिव्य स्वरूप को बार–बार देखने के लिए लालायित रहता है। उनका दिव्य स्वरूप का वर्णन ऐसा है, जो उनके मुख से लेकर पैरों तक के प्रत्येक अंग को अपने में समेटता है। भगवान श्रीराम के रूप का प्रभाव ऐसा है कि जिसने एक बार देख लिया, वह उस सौंदर्य को जीवन भर भूला नहीं सकता। उनकी छवि में तेज, करुणा, माधुर्य, और मर्यादा का विलक्षण समन्वय है।
कोटि कान्ति बरनि न जाइ।
तेज पुंज जानिअ नहिं छाइ॥ (बालकाण्ड)
मुखमण्डल (चेहरा)
भगवान् श्रीराम का मुखमण्डल पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान दिव्य, प्रकाशवान और अत्यन्त सुन्दर है। उनका मुख आकर्षक, शील और सौम्य है, जो किसी भी मनुष्य के मन को शांति और आनंद से भर देता है। श्रीराम का मुख चंद्रमा की तरह कोमल, शांत और तेजपूर्ण है। उनकी मुस्कान भक्तों के जीवन में सुख और शांति की वर्षा करती है।
सीय संग सोभा तनु स्वामी।
रूप बिदित तीनहुं जग थामी॥ (अयोध्याकाण्ड)
उनके होठ गुलाबी और कोमल हैं, जो चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ उनकी दिव्यता प्रकट करते हैं। उनकी नाक सुडौल और सुंदर है, जो उनके चेहरे की सुंदरता को और अधिक निखारती है।
कृपा सिंधु सुंदर सुखदायी।
राम सुभाउ सरस सुधा जैसी॥
नेत्र (आँखें)
भगवान् श्रीराम की आंखें कमल के समान सुन्दर, मृग के समान बड़ी और करुणा से भरी हुई हैं। उनकी दृष्टि में सभी प्राणियों के प्रति प्रेम और दया झलकती है। उनकी आँखों का रंग कमल के समान कोमल और आकर्षक है, जो भक्तों के मन को मोह लेती हैं। उनमें करुणा, वात्सल्य और प्रेम की झलक सदैव विद्यमान रहती है। उनकी दृष्टि से ही शरणागत को आश्रय मिलता है।
नयन कमल सुंदर सुखदाई।
जेहिं दरस भए मन हरषाई॥
भाल तिलक ललाट ललाम।
त्रिभुवन मोहन रूप ललाम॥
केश और ललाट
भगवान् श्रीराम के बाल घने, काले और लहराते हुए हैं, जो उनके मुखमंडल की सुंदरता को और बढ़ाते हैं। उनके बालों को सजावटी मुकुट या माला से सजाया जाता है, जो उनकी राजसी छवि को दर्शाता है। उनके ललाट पर तिलक एक दैवीय संदेश की भाँति सुशोभित होता है।
केस बिनय बिमल बन मालिन।
सिर मुकुट मुकुतावलि मालिन॥ (सुन्दरकाण्ड)
कण्ठ और वाणी
श्रीराम का कण्ठ शंख के समान सुडौल और आकर्षक है। श्रीराम की वाणी मधुर, गंभीर और संयमित होती है — जो सुनने वाले को आत्मिक सुकून देती है। उनके गले में दिव्य माला या हार सुशोभित होता है, जो उनकी दिव्यता को प्रकट करता है।
सुभग कंठ मणिमाला सोहे।
ज्यों नभ मध्य बिनय बिदित लोहे॥
भुजाएँ और हस्त
श्रीराम के हाथ लम्बे, सुडौल और कोमल हैं, जो धनुष–बाण धारण करने में सक्षम हैं। उनकी अंगुलियाँ सुंदर और नुकीली हैं, जो उनके कौशल और शक्ति को दर्शाती हैं। श्रीराम की भुजाएँ विशाल, सुडौल और बलशाली हैं। वे न केवल रावण का संहार करती हैं, बल्कि भक्तों को आश्रय भी देती हैं।
भुजबल देखि बिकल दनुजाना।
कहं जय राम जय रघुकुलाना॥
उनके हाथों में धनुष (कोदण्ड) और बाण होते हैं, जो उनके वीरता और धर्म की रक्षा के प्रतीक हैं। उनका एक हाथ अक्सर आशीर्वाद की मुद्रा में होता है, जो भक्तों को शांति और सुरक्षा प्रदान करता है।
बाहु बिसाल जानकी पिया के।
संहारन करि लंका दिया के॥
वक्षस्थल और हृदय
भगवान श्रीराम का वक्षस्थल सुडौल और विशाल है, जो उनकी शक्ति और तेज को प्रदर्शित करता है। उनके वक्षस्थल पर वनमाला (फूलों की माला) सुशोभित होती है, जो उनके सरल और प्राकृतिक स्वभाव को दर्शाती है। श्रीराम का वक्षस्थल विशाल और श्रीवत्स तथा कौस्तुभ मणि से सुशोभित रहता है। इसमें केवल शक्ति नहीं, सीता जी और भक्तों के प्रति असीम प्रेम और करुणा भी समाहित है।
कण्ठ मणि कण्ठ सुर सरिधारा।
वक्ष विरेजत श्रीवत्स प्यारा॥
कटि और वस्त्र
श्रीराम का धड़ मजबूत और सुडौल है, जो उनके शारीरिक बल और साहस को प्रदर्शित करता है। उनकी कटि अर्थात् कमर पर पीले रंग का वस्त्र (पीताम्बर) बंधा होता है, जो उनकी दिव्यता और राजसी गरिमा को प्रकट करता है। यह उनके “राजा होते हुए भी तपस्वी” स्वरूप को उजागर करता है।
पीत पटाम्बर तन सोहे।
छबि अनूप लोक मोहे॥
चरणकमल
श्रीराम के चरण कोमल, पवित्र और सुंदर हैं, जो कमल के समान प्रतीत होते हैं। उनके पैरों में रिंगण (पायल) होती है, जो उनकी चाल में मधुर संगीत भर देती है। उनके चरणों को भक्तों के लिए सबसे पवित्र माना जाता है, क्योंकि उनके चरणों में ही सारी सृष्टि का निवास है। भगवान् श्रीराम के चरण कमलों को देखकर ऋषि-मुनि, योगी, और भक्तगण नतमस्तक हो जाते हैं।
सिय रघुबीर पद रज अगाधा।
सुभग सनेह सरोरुह साधा॥
करउँ प्रनाम जोरी जुग पयथा।
सरन सुखद जन बिपति निपाथा॥
समग्र स्वरूप
श्रीराम का समग्र स्वरूप अत्यन्त आकर्षक, दिव्य और मनोहर है। उनका शरीर सुडौल, तेजस्वी और प्रकाशमान है, जो उनके दिव्य अवतार होने का प्रतीक है। उनकी मुद्रा और चाल में गरिमा और शांति झलकती है, जो भक्तों के हृदय को श्रद्धा और भक्ति से भर देती है। श्रीराम का संपूर्ण स्वरूप ब्रह्मांड की आत्मा है। उनकी भंगिमा, चाल, दृष्टि और व्यवहार सभी में एक दिव्य स्पंदन है जो आत्मा को आंदोलित कर देता है।
रूप अनूप जगत सब सोहा।
देखत रूप भयो मन मोहा॥
आभूषण और अलंकार
श्रीराम पीले रंग के वस्त्र (पीतांबर) धारण करते हैं, जो उनकी दिव्यता और राजसी गरिमा को दर्शाते हैं। उनके गले में दिव्य माला, हाथों में कंगन और कमर में करधनी (मेखला) सुशोभित होती है। उनके मुकुट में मणियाँ जड़ी होती हैं, जो उनके तेज को और बढ़ाती हैं। श्रीराम के प्रत्येक अंग पर मणियों से जड़े आभूषण शोभायमान हैं। मुकुट, हार, कंगन, करधनी, नूपुर आदि में उनकी राजसी छवि प्रकाशित होती है।
भूषन बन गंधन मनि मालिन।
सोभा सकल सुर मुनि पालिन॥
धनुष–बाण
भगवान् श्रीराम के हाथों में धनुष (कोदण्ड) और बाण होते हैं, जो उनके वीरता और धर्म की रक्षा के प्रतीक हैं। उनका धनुष सोने से निर्मित है और उनके बाण अजेय हैं। ये धनुष–बाण अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना का प्रतीक हैं।
धनुष बाण अरु खड्ग कराला।
कृपा सिंधु रघुपति दयाला॥
त्रितप (सीता, लक्ष्मण और हनुमान) का साथ
श्रीराम का स्वरूप माता सीता के बिना अधूरा है। लक्ष्मण उनका बल हैं, और हनुमान उनकी भक्ति। यह त्रय जब एक साथ होते हैं, तो शक्ति, सेवा और श्रद्धा का परिपूर्ण रूप सामने आता है। भगवान् श्रीराम को अक्सर माता सीता, उनके भाई लक्ष्मण और भक्त हनुमान के साथ दर्शाया जाता है। माता सीता उनके बाईं ओर विराजमान होती हैं, जबकि लक्ष्मण और हनुमान उनके समर्पित सेवक के रूप में उपस्थित होते हैं।
राम सिया लखन संग सोहैं।
सकल लोक पावन कर जोहैं॥
समापन : रूप से भक्ति और भक्ति से मुक्ति की ओर
भगवान श्रीराम का स्वरूप न केवल सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि साधना, सेवा और समर्पण की प्रेरणा भी देता है। उनके स्वरूप का स्मरण आत्मा को धर्म और भक्ति के पथ पर अग्रसर करता है।
राम भगति पथ चहौं सुधारी।
चापे धरोउँ सदा सौंवारी॥
श्रीराम का यह दिव्य स्वरूप भक्तों के हृदय में श्रद्धा और प्रेम जगाता है। उनकी छवि न केवल सौंदर्य और तेज से परिपूर्ण है, बल्कि उनके आदर्श चरित्र, धैर्य, करुणा और न्यायप्रियता को भी प्रतिबिंबित करती है। उनका रूप भक्तों को आध्यात्मिक शांति और आनंद प्रदान करता है।
Excellent Article
ReplyDeleteGood Article
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